छत्तीसगढ़ी कहानी -ढेला अउ पत्ता।chhattisgarhi kahani

छत्तीसगढ़ में कहानी का अपना अलग ही महत्व है।जैसे ही साम हुआ दादा के पास बैठ जाना और अलाव सेकते सेकते सुंदर सुंदर कहानी सुनना ।याद करते ही आज भी मन को कितना सुकून पहुँचाता है।जिस दिन दादा का कहानी सुनाने का मन न हो उस दिन छत्तीसगढ़ के सबसे छोटी कहानी सुना के चुप हो जाते थे।उस  कहानी का नाम है ‘ढेला अउ पत्ता ‘।


तो लीजिए प्रस्तुत है छत्तीसगढ़ी कहानी ‘ढेला अउ पत्ता ‘

एक सहर म ढेला अउ पत्ता मितान बदिन।एक दिन ढेला ह पत्ता ल कहिथे मितान, पानी गिरही त तै मोला तोपबे अउ गर्रा आहि त मैं तोला तोपहुँ। फेर पानी अउ गर्रा एके संग आजथे।
ढेला रहय घूर जथे अउ पत्ता रहय तेन ह उड़ा जथे।


यह छत्तीसगढ़ी काहनी में सबसे छोटी कहानी है।दोस्तों यह कहानी आपको पसन्द आए तो अवश्य शेयर करें । आपको यह कहानी पढ़ने के बाद कैसा लगा कमेंट बॉक्स में लिखकर हमें अवश्य बताएं।

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