अपना गॉंव और गांव में बिताए ओ बचपन , सबको याद होती है उन लम्हों को याद करते ही सबके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान उभर आती है।गॉंव की हर एक चीज जिनसे हमारी यादें जुड़ी रहती है गॉंव के बारे में सोचते ही एक एक कर आंखों के सामने उभर आती है।
बचपन में लकड़ी का झूला झूलते थे ,जिसे रेंहचुल कहते थे ।बड़ा मजा आता था।मुझे एक घटना बहुत ही अच्छे से याद है ,जब हम दोस्तों के साथ बैल को चारा चराने ले जाते थे तो एक दोस्त के पास भैंस थी, जिसके थन से हम लोग उसके बच्चे जैसे मुह लगा कर दूध पीते थे और भैंस सीधी खड़ी रहती थी।
नानपन के मोर गॉव
दद के मया दुलार,मोर दाई के अचरा के छांव।
याद आथे संगी मोला ,नानपन के मोर गॉव।।
पेंड़ तरी खेलन भटकउला।
गउ दइहान के गिल्ली अउ डंडा।।
आषाढ़ के पानी , अउ कागज के मोर नांव......
गउ दइहान के गिल्ली अउ डंडा।।
आषाढ़ के पानी , अउ कागज के मोर नांव......
याद आथे संगी मोला..................................।
लकड़ी के बने, रेंहचुल ढेलउवा।
बइला चरई अउ ,डंडा कोलउवा।।
होत बिहनिहा कुकरा बासय, अउ कउंआ करै कांव कांव...........
बइला चरई अउ ,डंडा कोलउवा।।
होत बिहनिहा कुकरा बासय, अउ कउंआ करै कांव कांव...........
याद आथे संगी मोला...................................।
स्कूल ले आके, तरिया तउड़ई।
कागज के बने, पतंग उड़ई।।
ओ टेड़गा रुख, अउ मोर छोटे-छोटे पांव...............
कागज के बने, पतंग उड़ई।।
ओ टेड़गा रुख, अउ मोर छोटे-छोटे पांव...............
याद आथे संगी मोला...................................।
दद के मया दुलार,मोर दाई के अचरा के छांव।
याद आथे संगी मोला नानपन के मोर गांव।।
इसे भी पढ़ें-छत्तीसगढ़ी कविता 'गोहार'
यह कविता मेरे और मेरे गॉंव से जुड़ी यादों की कृति है ।मेरी यह कविता आप सबको कैसी लगी कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताना दोस्तों ।
याद आथे संगी मोला नानपन के मोर गांव।।
इसे भी पढ़ें-छत्तीसगढ़ी कविता 'गोहार'
यह कविता मेरे और मेरे गॉंव से जुड़ी यादों की कृति है ।मेरी यह कविता आप सबको कैसी लगी कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताना दोस्तों ।
4 Comments
Achhe pal
ReplyDelete🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteजय जोहार संगी हो मोर नाव राजेश यादव आये मैं रइपुर रहवइय्या आव
ReplyDeleteआप के कविता अउ जानकारी बड़ निक हे में ये पूछना चाहथव
आप मन के द्वार बनाये गे ये ब्लॉग के रेस्पॉन्स कइसनाहा मिलथे
chhattisgarh m mola lagthe aadmin mn kvita kahani m jada ruchi nai rakhayn janaula,joks ,shayari l jada dekhthen
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