छत्तीसगढ़ी कहानी-लबरा के नौ नांगर।chhattisgarhi kahani – labra ke nau naangar

आम जिंदगी में हमारा सामना कभी न कभी ऐसे व्यक्ति से जरूर हुआ होगा ,जिसे बढ़ाचढ़ा कर बोलने की आदत हो। ऐसे लोग वाहवाही लूटने के लिए कभी भी किसी छोटे से बात को आसानी से आधे एक घंटे तक खींच सकते हैं। सायद ऐसे ही लोगों के कारण ‘एक हाथ खीरा के नौ हाथ बीजा’ वाला कहावत बना होगा। ऐसे लोग कभी कभी अपने इन्ही आदतों  के कारण हँसी का पात्र भी बन जाते हैं।


ऐसे ही व्यक्ति पर आधारित छत्तीसगढ़ी कहानी प्रस्तुत है,जिसे अपने  बढ़ाचढ़ा कर बोलने के आदत के कारण अपमानित होना पड़ता है-



                                                                             लबरा के नौ नांगर


एक गॉव म एक जवान लईका रहय। दिखे म सुंदर तो रहय फेर ओखर एक ठन बहुत खराब आदत रहय , बात ल बढ़ाचढ़ा के बोलना।


गॉव म जब कभू कुछू बात होवय अउ ओ बात या घटना के बारे म कोई पूँछय त, दु के चार फेंक फेंक के बतावय। ओखर ए हरकत बर गॉव भर के मनखे मन मना करैं।तोर आदत ल सुधार नई तो एक दिन बहुत बड़े मुसीबत म पड़ जबे, ओ दिन बहुत पसताबे।फेर ओ ह नई सुधरिस।


एक दिन ओखर दाई दद मन ओखर शादी करे बर लड़की देखाय ल ले के गिन।


लड़की के घर म नास्ता पानी करिन ,नास्ता -पानी करे के बाद पूछ परख सुरु करिन।




लड़की के दद  –-कइसे बेटा बस म बइठ के आए होहु ?

लड़का – नहीं अपन खुद के स्वीप्ट म आए हौं?

लड़की के दद  – कइसे बेटा 2-4 एक्कड़ खेतिखार होही?

लड़का – नही 20 एक्कड़ के प्लाट हे।

लड़की के दद– कइसे बेटा 10वीं-12वीं पढ़े होबे ?

लड़का– नहीं एल एल बी करे हौं।

लड़का बात ल लमाय म बहुत बिधुन रहय ।लड़की के दद ह सवाल के ऊपर सवाल करत रहै अउ लड़का बात ल फेंक फेंक के बतावय।


लड़की के दद अगला सवाल करथे ओइसने लड़का ल खांसी आ जथे।

लड़का के खांसी ल देख के लड़की के दद ह पूछथे -कइसे बेटा मौसम के चलते  थोड़ा मोड़ा खांसी आत होही।

लड़का– नहीं टीबी होगे हे।

एतका बात ल सुनथे त लड़की के घर वाले मन उंखर रिश्ता ल ठुकरा देथें अउ ओ मन ल अपन घर ले भगा देथें।


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इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें  कभी भी वाहवाही  या शाबासी के लिए  किसी भी बात को बढ़ाचढ़ा कर  प्रस्तुत नहीं करना चाहिए।झूठ कभी न कभी बेनकाब हो  ही जाता है, जिस दिन हमारा झूठ पकड़ा गया  उस दिन शर्मिंदगी  और पश्चाताप के अलावा हमारे पास कुछ भी नही रहेगा।

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