Chhattisgarh में chhattisgarhi शिक्षाप्रद कहानी सुनने को तो मिलता ही है ,पर कुछ कहानियाँ हंसी से भरपूर होती है। पहले गॉंव में जो गम्मत होती थी उसमें ऐसे ही हंसी से भरपूर कहानियों पर नाटक का मंचन किया जाता था।
इस कहानी में ग्रामीण परिवेश का सुंदर चित्रण है।किसान परिवार में जो समान्यतः देखने को मिलता है कि किसान को उसके बैल सबसे प्यारे होते हैं , इस कहानी में भी किसान अपने प्यारे बैलों का इन्सान की तरह ही नाम रखा होता है ,एक का नाम समधी और दूसरे का कोर्रा।
दोस्तों आप सब के लिए प्रस्तुत है ऐसे ही हंसी से भरपूर कहानी-समधी अउ कोर्रा।
एक गांव म एक गरीब किसान रहय ।किसान के एके झन बेटा रहय। किसान मन पति पत्नी अउ ओखर बेटा तीनों मिलके एक छोटकन घर म रहयं।
किसान मेर दु ठन बइला रहय जेमा एक के नाव समधी अउ दूसर के नाव कोर्रा रहय ।किसान ह दुनों बइला के भरोसा म खेती किसानी करै।
किसान के बेटा ह बालिग होइस त ओखर बर सुंदर लड़की ल देखके शादी कर देथे। अब सब कोनों बढ़िया से कमावत खात रथें।
कुछ दिन बीते के बाद हरेली तिहार के दिन किसान के लईका के ससुर ह बेटी ल देखे ल जाए बर सोचिंस। अपन गोसाइन ल कहिथे कुछू होही रोटी-पीठा त झोला म जोर देते ओ , बेटी ल देख के आ जातेवं।ओखर गोसाइन ह अपन बेटी बर बढ़िया रोटी-पीठा बना के झोला म जोर देथे।
ओ आदमी ह झोला ल धर के बेटी के घर बर निकल जथे।कुछ समय के बाद बेटी- दमांद के घर पहुंच जथे। ओखर बेटी ह बढ़िया गोड़ धोये बर पानी देथे अउ बइठे बर बढ़िया खटिया निकाल देथे।
ओ आदमी ह थोरेच कन बइठे ल पाय रथे , तइसने किसान समधी अउ कोर्रा ल लोंदी खवाय बरतरिया म धो के घर आत रथे, जइसे घर मेर पहुँचथे कोर्रा नाव के बइला ह अन्ते भाग जथे अउ समधी ह घर म ओलिहा जथे।
कोर्रा के भगई ल देख के किसान ह जोर से अपन गोसाइन ल चिल्लाथे समधी के गला ल गेरवा म लपेट के खूंटा म बांध के रखबे मैं कोर्रा ल लावत हौं।
ओखर बात ल सुन के किसान के समधी ह हड़बड़ा के जम्मो बात ल अपन ऊपर ले लेथे अउ सोंचथे समधी ल खुटा म बांध के रख कोर्रा ल लावत हौं कहिथे । मोला खूंटा म बांध के मारय मत कहिके जोर से डरा जथे अउ समधी ह मोला गेरवा म बांध के कोर्रा म मारही कहिके अपन बेटी के घर ले चुपचाप भागत रहिथे।
ओखर बेटी ह बहुत रोकथे बाबू काबर जात हस का गलती होगे तोर समधी मेर मुलाकात करके जाबे कोर्रा ल लेके आवत हे अब तो अपन बेटी के बात ल सुन के अउ एक मिनट नई रुकय भाग जथे।
☺️☺️मोर कहानी पुरगे दार भात चुरगे ।☺️☺️
☺️☺️खावव अउ अपन काम म लग जावव।।☺️☺️
किसान मेर दु ठन बइला रहय जेमा एक के नाव समधी अउ दूसर के नाव कोर्रा रहय ।किसान ह दुनों बइला के भरोसा म खेती किसानी करै।
किसान के बेटा ह बालिग होइस त ओखर बर सुंदर लड़की ल देखके शादी कर देथे। अब सब कोनों बढ़िया से कमावत खात रथें।
कुछ दिन बीते के बाद हरेली तिहार के दिन किसान के लईका के ससुर ह बेटी ल देखे ल जाए बर सोचिंस। अपन गोसाइन ल कहिथे कुछू होही रोटी-पीठा त झोला म जोर देते ओ , बेटी ल देख के आ जातेवं।ओखर गोसाइन ह अपन बेटी बर बढ़िया रोटी-पीठा बना के झोला म जोर देथे।
ओ आदमी ह झोला ल धर के बेटी के घर बर निकल जथे।कुछ समय के बाद बेटी- दमांद के घर पहुंच जथे। ओखर बेटी ह बढ़िया गोड़ धोये बर पानी देथे अउ बइठे बर बढ़िया खटिया निकाल देथे।
ओ आदमी ह थोरेच कन बइठे ल पाय रथे , तइसने किसान समधी अउ कोर्रा ल लोंदी खवाय बरतरिया म धो के घर आत रथे, जइसे घर मेर पहुँचथे कोर्रा नाव के बइला ह अन्ते भाग जथे अउ समधी ह घर म ओलिहा जथे।
कोर्रा के भगई ल देख के किसान ह जोर से अपन गोसाइन ल चिल्लाथे समधी के गला ल गेरवा म लपेट के खूंटा म बांध के रखबे मैं कोर्रा ल लावत हौं।
ओखर बात ल सुन के किसान के समधी ह हड़बड़ा के जम्मो बात ल अपन ऊपर ले लेथे अउ सोंचथे समधी ल खुटा म बांध के रख कोर्रा ल लावत हौं कहिथे । मोला खूंटा म बांध के मारय मत कहिके जोर से डरा जथे अउ समधी ह मोला गेरवा म बांध के कोर्रा म मारही कहिके अपन बेटी के घर ले चुपचाप भागत रहिथे।
ओखर बेटी ह बहुत रोकथे बाबू काबर जात हस का गलती होगे तोर समधी मेर मुलाकात करके जाबे कोर्रा ल लेके आवत हे अब तो अपन बेटी के बात ल सुन के अउ एक मिनट नई रुकय भाग जथे।
☺️☺️मोर कहानी पुरगे दार भात चुरगे ।☺️☺️
☺️☺️खावव अउ अपन काम म लग जावव।।☺️☺️
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी सुनी सुनाई बात पर विश्वास नही करना चाहिए।हो सकता है वो बात किसी और तारतम्य में कही गई हो।इस लिए हमेशा धीरज के साथ निर्णय लेना चाहिए।
Majedar kahani hai