सुवा गीत। Suva geet


Chhattisgarh एक ऐसा राज्य है, जहां आपको इतनी ज्यादा विविधताओं का दर्शन होगा कि आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे।यहां रहन -सहन,खान-पान,भाषा,परम्परा आदि में विविधता स्पष्ट दिखाई देता है।
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chhattisgarh अपने इन्ही विविधताओं के नाम से जाना है।ये विविधता ही यहां के लोगों को एकता के सूत्र में बांधे रखा है।ऐसी ही विविधता लोक नृत्य और लोग गीतों में भी दिखाई देता है ।हम जिस लोक गीत के बारे में बताने करने जा रहे हैं उस लोक गीत को सुवा गीत कहा जाता है। 
                                                              सुवा नृत्य

यह नृत्य मुख्यतः आदिवासी स्त्रियों का नृत्य है,इस नृत्य को महिलाओं और लड़कियों द्वारा समूह में गोल गोल घूमकर गीत गा गाकर किया जाता है ।बीच मे मिट्टी का तोता चावल से भरे टोकरी में रखा जाता है साथ ही दिये जलाकर भी रखा जाता है।

इस नृत्य को खरीफ फसल के तैयार होने की ख़ुशी में घर घर जा जाकर किया जाता है।सुआ नृत्य छ. ग.के सभी क्षेत्रों में किया जाता है।

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तो लीजिए प्रस्तुत है छत्तीसगढ़ का सुवा गीत। इस गीत को आप लोग चाहें तो साज में पिरोकर भी गा सकते हैं।सुवा गीत से सम्बंधित यह जानकारी और सुवा गीत आप लोगों को अच्छा लगे तो इस पोस्ट को जरूर करना।  


– तरीहरी नाना  मोर नाहरी नाना रे सुवा मोर ,

तरीहरी ना मोरे ना।
ए दे ना रे सुवा मोर तरीहरी ना मोरे ना ।

1.कोन सुवा बइठे मोर आमा के डारा म ,कोन सुवा उड़त हे अगास,ना रे सुवा मोर कोन सुवा उड़त हे अगास।2

हरियर सुवा बइठे मोर आमा के डारा म,पिवरा सुवा उड़त हे अगास, ना रे सुवा मोर पिवरा सुवा उड़त हे अगास।।2
ए अगास ए सुवा रे मोर,तरीहरी ना मोरे ना…

ए दे ना रे सुवा मोर ,तरीहरी ना मोरे ना।

2.कोन सुवा लावत हे मोर पिया के सन्देशिया,कोन सुवा करत हे मोर बाच, ना रे सुवा मोर कोन सुवा करत हे मोर बाच।2

हरियर सुवा लावत हे मोर पिया के सन्देशिया,पिवरा सुवा करत हे मोर बाच,ना रे सुवा मोर पिवरा सुवा करत हे मोर बाच।2
ए दे बाच ए सुवा रे मोर,तरिहरी ना मोरे ना….

ए दे ना रे सुवा रे मोर,तरिहरी ना मोरे ना।



3.कोन सुवा करत हे मोर रामे रमइया,को सुवा करत हे जोहार,ना रे सुवा मोर कोन सुवा करत हे जोहार।2

हरियर सुवा करत हे मोर रामे रमइया,पिवरा सुवा करत हे जोहार,ना रे सुवा मोर पिवरा सुवा करत हे जोहार।2
ए जोहारे रे सुवा रे मोर ,तरिहरी ना मोरे ना…

ए दे ना रे सुवा रे मोर, तरिहरी ना मोरे ना।

तरीहरी नाना  मोर नाहरी नाना रे सुवा मोर ,

तरीहरी ना मोरे ना।
ए दे ना रे सुवा मोर, तरीहरी ना मोरे ना ।


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                             सुवा गीत




तरिहरी नाना मोर ना हरी ना ना रे उड़ भागे।2

उड़ भागे रे मोरे ,पोंसे सुवा ना उड़ भागे।2

1.पिंजरा म बइठे तैं टेंह-टेंह गाए।2

तोर सुघ्घर बोली मोर मन ल रिझाए।2
काखर तैं मया म भुलाय,मोला नजर नई आय, तैं उड़ भागे…..

उड़ भागे रे मोरे पोंसे सुवा ना,उड़ भागे।2

2.तोर कारन छोड़ेवँ मैं दाई-दद ल।2

भइया अउ भउजी के मया पीरा ल।2
जिनगी मोरे तैं करे बिरान, तोरे बिना मोरे छूटे परान,तैं उड़ भागे…

उड़ भागे रे मोरे पोंसे सुवा ना उड़ भागे।2 


3.आजा रे सुवा तोर करौवँ अगोरा।2 
दुनों झन रहिबो हम जावँर-जोड़ा।2
मया के खोंधरा बसाबो,सुघ्घर दिन ल पहाबो, तैं उड़ भागे….

उड़ भागे रे मोरे पोंसे सुवा न उड़ भागे।2



तरिहरी नाना मोर ना हरी नाना रे उड़ भागे।2

उड़ भागे रे मोरे ,पोंसे सुवा ना उड़ भागे।2

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                         सुवा गीत


तरिहरी नाना मोर ना हरी नाना रे ,हर ले गय।2

हर ले गय सीता माई ल रावण,हर ले गय।2

1.माता के बात म सुख ल तियागे ओ, संग म चलय सीता माई।2

आघु-आघु जग के पालनहारी ओ, पीछू चलय लछमन भाई।2
ए हर ले गय ….
हर ले गय सीता माई ल रावण,हर ले गय।2
2.साधु के भेष म रावण आवय ओ,भीख माँगे के बहाना।2
लछमन रेखा ल देख डरावय ओ,आगी म जरे ओखर काया।2


ए हर ले गय……

हर ले गय सीता माई ल रावण,हर ले गय।2



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