छत्तीसगढ़ के तीज त्यौहार ।Cg Festival List

छत्तीसगढ़ ह एक अइसन राज ए जीहाँ किसिम किसिम के तीज तिहार मनाय जाथे।इंहाँ जेन जेन तिहार ल मनाय जाथे ओ मा के कई तिहार ल तो देश भर म मनाय जाथे। छत्तीसगढ़ देश भर म एक अइसे राज ए जिहाँ बारो महीना तिहारे तिहार रथे , अउ ए तिहार मन म किसिम किसिम के पकवान तको बनाय जथे। हर एक तिहर के एतिहासिक महत्व हे |इहाँ के लोगन मन ए तिहार मन के महत्व ल बनाय रहे हें |

छत्तीसगढ़ म सावन महिना ले तिहार के शुरुआत हो थे ,और होली तिहार म जाके खतम होथे |त चलव बिना देरी करे छत्तीसगढ़ के सबो तिहार के बारे म जानथन | ए तिहर मन के बारे म छत्तीसगढ़ बड़े -बड़े परीक्षा म तको पूछे जाथे ,त ए जानकारी ह पढ़ैया लईका मन बर तको उपयोगी हो सकत हे |

एक बार फेर आपके जाने पहचाने वेबसाइट HAMARGAON.COM म स्वागत हे |त चलव आपमन ल हम छत्तीसगढ़ के तिहार के बारे म बतावत हन कइसे लगिस कमेन्ट बॉक्स म जरूर बताहू। अऊ कोनो तिहार के बारे म जानत होहु तभो जरुर बताहू |


छत्तीसगढ़ के तिहार

1.राम नवमी-

चइत महीना के शुक्लपक्ष के नवमी के दिन राम नवमी के तिहार मनाय जाथे। ए तिहार ल भगवान राम के जनम दिन के रूप म मनाय जाथे।ए दिन ल शुभ माने जाथे इही कारन ए, के ए दिन बर बिहाव जादा होथे। भगवान राम के मनइया मन भगवान् के विशेष पूजा अर्चना करथें |

2.अक्ति तिहार-

बइसाख महीना के शुक्लपक्ष के तीसर दिन अक्ति तिहार मनाय जाथे।ए दिन खेत म थोरकन बिजहा डार के खेती के शुरुवात करे जाथे।इही दिन करसी म पानी भर के पुरखामन के शांति के कामना तको करे जाथे , बर पीपर म पानी डारथें।ए दिन ल शुभ माने जाथे इही कारन ए दिन शादी बहुत होथे।ए तिहार ल पुतरा पुतरी तिहार तको कथें।

3.हरेली तिहार-

हरेली तिहार ल सावन महीना म अंधेरी पाख के अमावस्या के दिन मनाय जाथे।एखर नाव ले ही पता चल जथे के हरियाली के तिहार।किसान मन हरेली के दिन अपन किसानी के औजार मन ल धो मांज के पूजा पाठ करथें।गाय बइला ल गोठान म ले जाके गहूँ के पिसान म लपेट के नुंन ल खवाथे।ए दिन घर म बढ़िहा बढ़िहा रोटीपीठा तको बनाय जाथे।

ए दिन के बारे म पुराना जमाना ले मानत आवत हे कि तंत्र मंत्र वाले अपन तंत्र मंत्र के सिद्धि इही दिन करथें। ए तिहार म किसान मन प्रकृति के संगे संग खेती किसानी म जेतना चीज ओखर  काम  आथे तेखर पूजा पाठ करके उंखर प्रति अपन आस्था प्रकट करथे

4.नांगपंचमी तिहार-

नांगपंचमी के तिहार ल सावन महीना के पंचमी के दिन मनाय जाथे।ए दिन नाग देवता के पूजा करे जाथे।छत्तीसगढ़ म ए दिन नाग भगवान ल दूध तको चढाय जाथे।ए दिन कुश्ती के खेल तको रखे जथे। भगवान शंकर के गला म लपटाय शेष नाग के पूजा एक प्रकार से जीव मन के प्रति आदमी मन के भावना ल दिखाथे |

5.राखी तिहार-

ए तिहार ह भाई बहिनी के मया के तिहार ए। बहिनी मन ए दिन अपन भाई के हाथ म राखी बांधथें। भाई मन अपन बहिनी मन ल राखी बांधे के खुशी म साड़ी ,रुपया पैसा देथें। नागपंचमी के दशवइय्या दिन सावन महीना के पूर्णिमा म राखी तिहार मनाय जाथे। अईसे कहावत हे द्रोपती ह भगवान् कृष्ण ल राखी बांधे रहिस तभे ,भगवान् ह ओखर रक्षा करे रहिस |ओखरे खातिर राखी ल बहुत पवित्र माने जाथे ,अउ भाई मन बहिनी के रक्षा करे के संकल्प लेथे |



 

6.भोजली तिहार

भोजली तिहार भादो महीना म कृष्ण पक्ष के शुरुच दिन ही मनाय जाथे।नान नान टुकनी म माटी भर के ओमा पाँच -सात किसिम के अन्न ल डार के एक जघा म रख देथें अउ सब संगवारी मिल के रोज भोजली गीत ल गा के देवी के सेवा करथें।ए तिहार ह प्रकृति देवी के तिहार ए।

7.कमरछठ तिहार-

कमरछठ के तिहार ल भादो के कृष्ण पक्ष म ही षष्ठी के दिन मनाय जाथे।जमीन खोद के तालाब के रूप बनाके पानी भर लेथें फेर माता हलषष्ठी के पूजा करथें अउ अपन बेटा के लम्बा उमर के आशिर्बाद माँगथें।

8.आठे कन्हइया तिहार (कृष्ण जन्मास्टमी )-

भादो के कृष्ण पक्ष म आठे के दिन भगवान कृष्ण के जन्म दिन के रूप म ए तिहार ल मनाथें।गांव म ए दिन उपास रहइया मन कोठी या दीवार म भगवान कृष्ण अउ गोपी मन के चित्र बनाके पूजा करथें। 

9.पोरा तिहार-

पोरा के तिहार ल भादो महीना के अमावस्या के दिन मनाय जाथे।ए तिहार ह तको खेती किसानी ले जुड़े तिहार ए।ए दिन किसान मन अपन अपन गाय बइला ल धो मांज के लाथें अउ पूजा पाठ करथें।गाय बइला के सिंघ म पालिस करके घांघड़ा पहिना के सजाथें।सांझकन बइला दउड़ तको कराथें।

ए दिन माने जाथे कि अन्न माता ह गरभ धारन करथे।मतलब धान म दूध भराय ल धर लेथे।महिला घर ल लिप बहार के सजाथें अउ पकवान तको बनाथें। पोरा के दिन माटी के बइला ,जाँता, पोरा के पूजापाठ तको करथें।

10. तीजा तिहार-

भादो महीना म शुक्ल पक्ष के तीसरा दिन मनाथें ।छत्तीसगढ़ म तीजा ह दीदी बहिनी मन के तिहार ए।पोरा के तीन दिन के बाद तीजा तिहार मनाय जाथे।ए दिन सब दीदी बहिनी मन मइके आय रथें अउ मइके म आके अपन पति के लम्बा उमर खातिर उपास रखथें।भगवान शंकर के माटी के मूरति बनाके पूजा पाठ करथें अउ पति के लम्बा उमर बर भगवान से बरदान माँगथें।ए तिहार ल हरितालिका तिहार के नाव से तको जाने जाथे।घर म बने पकवान ल फरहार करथें।

11.पितर तिहार-

पितर तिहार ल कुंवार महीना के कृष्ण पक्ष म मनाय जाथे।पूरा कृष्ण पक्ष ल पितर पक्ष कथें।अपन पुर्वज मन के आत्मा के शांति बर ए तिहार ल मनाथें।अइसे माने जाथे के ये महीना म पुरखा मन के आत्मा मन घर आथें।पुरखा मन के स्वागत म घर के चौरा ल लिप के फूल म सजाय जाथे अउ पकवान बनाके उंखर भोग लगाथें। 

11.नवरात्रि तिहार-

कुंवार महीना म ही शुक्ल पक्ष म 1-9 दिन तक नवरात्रि म माता दुर्गा के मूरति बनाके नौ दिन तक पूजा पाठ करे जाथे अउ दशमी के दिन पानी म ठंडा कर देथें।



12.दशहरा तिहार-

दशहरा तिहार ल बुराई म अच्छाई के तीज कहे जाथे।अश्विन महीना के दशमी अंजोरी पाख म दशहरा तिहार मनाय जाथे।अइसे माने जाथे के भगवान राम ह माता सीता ल रावन के बध करके आपस लहुटे रहिस हे।ही खुशी म बुराई म अच्छाई के जीत के रूप म मनाय जाथे। दशहरा के दिन अगल अलग जगह म रावण के पुतला बनाके जलाय जाथे ,मेला लगथे |हमर छत्तीसगढ़ म बस्तर के दशहरा बहुत परसिध हे |लगभग 15 दिन के दशहरा होथे |

बस्तर और जशपुर म राजा ह रावण ल जलाथे ,अउ शुख ,शांति ,समृद्धि के प्रतीक टेहर्रा चिरई छोड़थे |
 



13.देवारी(दिवाली)तिहार-

छत्तीसगढ़ म तको देवारी के तिहार मनाय जाथे। देवारी तिहार के संगे संग अउ दु-तीन ठन तिहार मनाय जाथे।

धनतेरस(कातिक महीना कृष्ण पक्ष तेरवाँ दिन),नरक चतुर्दशी(कृष्ण पक्ष चौदहवां दिन),गोवर्धन पूजा(शुक्ल पक्ष पहला दिन),भाई दूज(शुक्ल पक्ष दूसरा दिन) ।देवारी तिहार कातिक महीना के अमावस्या के दिन ए तिहार ल मनाय जाथे।ए दिन घर म सबकोटी दिया जलाय जाथे।अइसे मान्यता हे के ए दिन भगवान राम ह बनवास काटके के लहूटे रहिस हे त अयोध्या म सब तरफ दिया जला के ओखर सुवागत करे गे रहिस हे।

13.- मकरसंक्रांति-

पुष महीना के कृष्ण पक्ष में छठवा दिन मनाथें।ए दिन तीली के लड्डू बनाथें।छत्तीसगढ़ म मकरसंक्रांति बर कई जघा मेला तको भराथे। 
 
14.छेरछेरा तिहार-

छेरछेरा छत्तीसगढ़ म नया फसल आय के खुशी म मनाय जाथे।छेरछेरा पूष महीना के पुन्नी के दिन मनाय जाथे।जब किसान मन नवा फसल ल मिस-कूट के तियार होथे त ए दिन लईका सियान सब झन घरोघर जाके अन्न के दान माँगथें,ए दिन बिहान ले ‘छेरछेरा कोठी के धान ल हेरते हेरा ‘ गीत सुने ल मिल जाथे। 

15.होली तिहार-

होली छत्तीसगढ़ के बड़े अउ आखरी तिहार ए।होली फागुन महीना के पूर्णिमा के एक दिन बाद मनाय जाथे।होली रंग के तिहार ए।पूर्णिमा के रात के होलिका दहन होथे फेर बिहान भर होली तिहार होथे।होली म एक दूसर ल रंग लगाके आपस म मतभेद भूला के मिलजुल के रहिथें।




एला तको पढ़ सकत हौ-छत्तीसगढ़ी पकवान।

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