छत्तीसगढ़ी ताली व देशभक्ति शायरी। chhattisgarhi talee, deshbhakti shayari.

छत्तीसगढ़ी ताली अउ देशभक्ति शायरी।chhattisgarhi talee au deshbhakti shayari 

संगी हो जय जोहार ,आप मन बर हमन छत्तीसगढ़ी म शायरी अउ मया शायरी लिखे रहेन तेला आप मन के बहुत मया दुलार मिलिच जेखर बर आप मन के बहुत बहुत धन्यवाद। आज हमन आप मन बर एक अउ शायरी लेकर आय हन उम्मीद हे इहु ल ओतके दुलार मिलहि। 


संगी हो मैं बहुत दिन ले सोचत रहेंव के हमर छत्तीसगढ़ी भाखा म मंच संचालन करे बर ताली अउ देशभक्ति शायरी के जरूरत पड़थे।फेर छत्तीसगढ़ी म ताली शायरी अउ देशभक्ति शायरी नेट म उपलब्ध नई हे।तेखरे खातिर आपमन बर छत्तीसगढ़ी म मंच संचालन करे बर ताली शायरी अउ देशभक्ति शायरी लिखे हौं।


ए शायरी मन ल पूरा जरूर पढ़हु।पढ़े के बाद कइसे लगिस तेन ल कमेंट के माध्यम से जरूर बताहू।

                                                   ताली शायरी 

1.कान बिना बाली के, ससुरार बिना सारी के।
परस्तुति बिना ताली के, उहू का काम के।।
त एक बार जोर से ताली बजा देवा..

2. कइसे बइठे हौ अल्लर असन,थोरकन अपन मया दिखावा।
परस्तुती पसन्द आइस हो ही त,ताली तो जरूर बजावा।।

3.अपन कदर दानी ल, झन छुपावा।
कार्यक्रम अच्छा लगिस हो ही त ,ताली जरूर बजावा।।

4.ताली अइसे बजावा के, ये रात तको होश म आ जाय।
उठ बइठें ऊँघईया मन ह,सब्बो कलाकार जोश म आ जाय।।

5.कोई कथे करमा सुनावा,कोई कथे ददरिया सुनावा।
सब सुनाबो संगी होवा बस, सब परस्तुति म ताली तो बजावा।।

6आज के दिन बहुत निराला हे, आज तो संगीत के धार बरसने वाला हे।
एक बार जोर से ताली बजावा संगी हो,काबर के पोरोग्राम शुरू होने वाला हे।।

7.जेखर अगोरा रहिस हे तेन आगे,आवा खुशी के दिया जला लौ।
ये शुभ घड़ी म उपस्थित पहुना मन बर, जोरदार ताली बजा दौ।।

8.इहाँ के महोल म मस्ती हे, इहाँ बइठे सब आदमी महान हस्ती हे।

ताली बजाय म कंजूसी मत करौ,काबर के इहाँ सब दिलदार हें अउ दिलवाला मन के बस्ती ए।।

9.बादर म फइलथे जब घुंघरू के अवाज, मजा बहुत आथे संगी जब मन ल हिलोर मारथे संगीत के झनकार।।
परस्तुति जब एतका सुघ्घर लगत हे त,ताली तो जरूर बनथे सरकार।।

10.ठीक नई हे कहना मोर सबले बार-बार ,ताली गूँजय चारो ओर हर परस्तुति के बाद।
सुख्खा सुख्खा बइठे म नई कटय कोई रात,तड़-तड़ ताली बजय त तब बनय कोई बात।।

11.आहि खूब मजा,ए वादा हे आप सब ले।
शुरू करबो प्रोग्राम बजावा ताली,देखत हवन कब ले।।

12.कलाकार अपन कला दिखाही,आपमन के मन के।
सुक्खा सुख्खा मजा नई आवय,ताली तो बजावा तन के।।

13.दे ताली भइया दे ताली,दे ताली भइया दे ताली।
नई तो घर जाबे त ,घर वाली देहि तोला गारी जी।।दे ताली ….

14.ताली बजावा दुनों हाथ उठाके, हमर हौसला बढ़ावा जी।
मजा लेवा हमर प्रोग्राम के,साथ हमर निभावा जी।।

15.जाए के बेरा होगे संगी, ले लौ हमरो जोहार।
आखरी ताली अपन बर बजालौ,फेर चलौ अपन घरबार।।

16. मया पिरित बने रहय ,फेर जाबो अपन -अपन डेरा |

अगला प्रस्तुती शुरू करन ,फेर होने ताली के बेरा |

17. आगे रात अधियारी संगी , अब होगे प्रस्तुती के बेरा |

दिखत हवा सब जोस म , फेर ताली के बिना  प्रोग्राम लगत हे अधुरा ||

18. पल भर के संग हमर , नाचत गावत बीते ये राती   |

ताली बिना ये राती ,जईसे रहय दिया बिन बाती ||

19.बूढी दाई के अंगाकर रोटी ,बब के टूट डाढा हो |

बब के टुटय डाढा त ,ताली बजावव साढू हो ||

छत्तीसगढ़ी  देशभक्ति शायरी

 


1. देश के खातिर जीबो संगी,देश के खातिर मरबो जी।
देश ले बढ़ के कोनो नई हे, देश के मान खातिर सब्बो करम ल करबो जी।।

2.जेन लहू म उबाल नई आय ओ लहू का काम के,जेन जवानी देश के काम नई आवय ओ जवानी का काम के।
जुग-जुग ले अमर हो जाथे ओखर नाव,आघु म सहीद जुड़ जाथे जेखर नाम के।।

3.देश के बेटा हमन किसान भइया, देश बर अन्न उपजाथें जी।
घाम,प्यास ,पानी, बादर ल सहिके,देश के मान बढ़ाथें जी।।

4.ए शायरी नो हय मोर दिल के पुकार ए, ए आँसू नो हय खून के धार ए।
देश के सेवा सबले बड़े हे ,बिना सेवा इहु तन ह मोरो जिंदा लास ए।।

5.दुश्मन बर हम दुश्मन,सिधवा बर निच्चट सिधवा ।
बइरी के चूर कर देबो घमण्ड,हम हिन्दुस्तानी बघवा।।

6.आगे तिहार के दिन जी संगी,सुरता के दिया जलालौ जी।
जिखर खातिर आज देश आजाद हे, उँखरे गुन ल गालौ जी।।

7.कतको करलौ तुमन बड़ाई, फेर उंखर करजा ल नई चुका सकन।
देश बर जान गवाएँ हे तेखर,सुरता ल कभू नई भुला सकन।।

8.भारत माता तोर मान के खातिर,तन मन धन कुर्बान हे।
भले होजय मोर सीना छलनी,मिटन नई दौ तोर निशान हे।।

9.शांति के सन्देश देवइया देश हमर ए, ए देश म गंगा बहने दौ।
झन बटव जातिपाती,छुवाछुत म ,सबके पहचान तिरंगा रहने दौ।।

10.ए देश के रक्षा मैं करहूँ ,ए देश मोर जान ए।
एखर आनबान,शान बर,मोर सब कुछ कुर्बान हे।।

11. देश के सम्मान बर जेन मर मिट गें, ओ वीरमन ल मोर सलाम हे।
अपन खून गिरा के ए धरती के लाज बचाइन,ओ सपूत मन ल बारम्बार परनाम हे।।

12.जेखर खून देश के खातिर नई खउलै, ओ खून नो है पानी ए।
जेन जवानी देश के काम नई आवय, ओ बेकार जवानी ए।।

13.देश के आजादी के कभू सांझ नई होय,सहीद मन के कुर्बानी कभू बेकार नई होय।
जब तक ए शरीर म जान रइही, भारत माता के अचरा नीलाम नई होय।।

14.ऐ देश बारम्बार नमन हे तोर, जी जाहुँ त जुबान म नाम रइही तोर।
मर जाहुँ त कफ़न म,लपटे तिरंगा रइही मोर।।

15.तिरंगा हमर आन ए, तिरंगा हमर शान ए।
तीन रंग के हमर तिरंगा,भारत भुइंया के पहचान ए।।

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संगी हो आपमन ल ए ताली शायरी अउ देशभक्ति शायरी कइसे लगिस जरूर बताहूँ।आप मन ल लगत होही के आपमन ल कोनों अउ किसम के शायरी के जरूरत हवै त आपमन नीचे कमेंट बॉक्स म अपन सवाल लिख सकत हौ।ए ताली शायरी अउ देशभक्ति शायरी कइसे लगिस कमेंट के माध्यम से जरूर बताहू।जय जोहार।

10 thoughts on “छत्तीसगढ़ी ताली व देशभक्ति शायरी। chhattisgarhi talee, deshbhakti shayari.”

  1. भारी नीक लागिस जी, इमान से मन गदगदा गे।

    बहुत ही अच्छा लगा, सच में आनंद आ गया ।
    धन्यवाद..!

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  2. बहुत ही सुघर लागिस आपमन के शायरी हा मनभावन शायरी हे दिल गदगद होगे ।

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  3. छत्तीसगढ़ी लोककला मंच संचालन करे बर स्क्रिप्ट लिख देते व sir आपमन के बहुत बहुत महरबनी होतिस। धन्यवाद्

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  4. अतका शायरी ल पढ़ के संगी , मन मोर होगे गदगद ,
    अउ मोला बता दे संगवारी, अउ डालबे शायरी कब कब ।
    अब्बड़ सुग्घर हे भाई , बड़ निक लागिन हे।

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