छत्तीसगढ़ी कहानी- डोकरी अउ डोकरा।chhattisgarhi kahani dokari au dokara

छत्तीसगढ़ी कहानी दादा और पोते के रिश्ते को अलग  पहचान देती है ।दादा जी अपने पोते पोतियों के बीच बैठ कर साम होते ही एक से बढ़कर एक कहानी सुनाते थे ।जिनमे से कुछ कहानी हँसी से लोटपोट कर देने वाले तो कुछ बहुत ही विरह वेदना वाला होता था।जो कहानी आप पढ़ने जा रहे हैं वह बहुत ही अभाव,विरह,संघर्ष  की कहानी है। 


दोस्तों आप लोग इस कहानी को अंतिम तक पढ़ेंगे तभी इसका पूरा सार समझ में आएगा


                              डोकरी अउ डोकरा


एक राज म डोकरी अउ डोकरा रथें जी।उंखर लईका बच्चा नई रहय फेर बुढ़तकाल म भगवान उंखर ऊपर दया कर देथे।डोकरी गरुपाँव हो जथे।एक दिन डोकरी ह डोकरा ल कथे,मोला करेला खाय के सऊँख लगत हे जी कहूँ ले करेला ले आते त बना के खा लेतेवँ।डोकरा ह गॉव म  करेला खोजे ल चल देथे।सब्बो के बारी-कोला सब ल खजथे कहूँ नई मिलय।अब का करय लहुट के घर आत रहिथे त रस्ता म राजा के बखरी म करेला देख के टोरे ल धर लेथे।राजा के नौकर मन के नजर डोकरा ऊपर पड़थे त ओला पकड़ के  राजा मेर ले जाथें।
दरबार म राजा बइठे रथे। नौकर मन राजा ल बताथें के ये आदमी ह बखरी के करेला ल टोरत रहिस हे।राजा पूछथे त डोकरा ह बताथे, ओखर डोकरी गरूपांव हे।करेला खाय के सऊँख करिच हे त टोरत रहेंव राजा साहेब।




राजा डोकरा के बात ल सुन के कहिथे ,लड़की होही त तै ओखर सादी मोर मेर करबे नही त तोला कैदखाना म डरवा देहुँ। डोकरा का करय राजा ल जुबान देके आ जाथे।
नौ महीना के बाद डोकरी के जुड़वा लईका होथे एक लड़का अउ एक लड़की ।जुबान के मुताबिक लड़की ल राजा ले जथे।

बेटी के वियोग म डोकरी घर म मर जथे अउ डोकरा ह सागर के पार म ।लड़का बेचारा नदान का करय सहारा देवईया कोनो नई रहय।लड़का ह गीत गा-गा के भीख मांग मांग के जियय।अइसे तइसे दिन बीतत जाथे।

एक दिन लड़का ह भीख मांगत मांगत जात रहिथे अउ ये गीत ल गावत रहिथे-
दाई न मरगे घरीन घुरिया ,दद सागर के पार।

बहिनी ल लेगे वाइस राजा ,दे कुलवनतीन भीख।।

लड़का के गीत ल ओखर बहिनी हवेली के भीतर ले सुन लेथे ।सुन के अपन नौकर ल कहिथे कोन ए एतका दुख भरे गीत गा के भीख मांगत हे जा तो बुला के ला।नौकर मन लड़का ल हवेली म बुला के लाथें अउ उहि गीत ल गवाथे।बेचारा फेर गाथे-

दाई न मरगे घरीन घुरिया,दद सागर कर पार ।
बहिनी ल लेगे वाइस राजा,दे कुलवनतीन भीख।।

लड़की परदा के तीर ले आवाज ल सुन के तीर म आथे अउ अपन भाई ल देखथे ,दुनो एक दूसर ल देख के खूब रोथें।
लड़की ह अपन पति राजा ल कहिके ओला अपने हवेली म रख लेथे।अउ सब्बो झन बढ़िया राज लक्ष्मी करथें।

इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में हमें विकट से विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है इन परिस्थितियों का सामना धैर्यपूर्वक करना चाहिए।घबराना नही चाहिए।क्योंकि छत्तीसगढ़ी में एक कहावत है कि ‘कभू न कभू घुरवा के तको दिन बहुरथे।’

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5 thoughts on “छत्तीसगढ़ी कहानी- डोकरी अउ डोकरा।chhattisgarhi kahani dokari au dokara”

  1. बहुत ही अच्छा कहानी लगे रहिये इसी तरह सुंदर सुंदर कहानी कहते रहिये

    भविष्य की शुभकामनाये

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  2. बहुत ही अच्छा कहानी लगे रहिये इसी तरह सुंदर सुंदर कहानी कहते रहिये

    भविष्य की शुभकामनाये

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