Chhattisgarh में कई प्रसिद्ध कवि हुए हैं जिन्होंने chhattisgarhi में एक से बढ़कर एक कविता ,शायरी आदि लिखे हैं।पर chhattisgarhi में शायरी उतना ज्यादा चलन में नही है जितना हिंदी का है पर हमने प्रयास किया है कि chhattisgarhi में शायरी आप सभी के लिए उपलब्ध करा सकें।यदि आप लोगों को लगता है कि आपको अपनी आवश्यकता के अनुसार शायरी नही मिल पा रहा है तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।हम आपके पसन्द के अनुसार शायरी उपलब्ध कराने का प्रयास जरूर करेंगे। इस पोस्ट में आप सभी के लिए chhattisgarhi शायरी उपलब्ध है अंत तक जरूर पढ़ें।
1.बांमी नही टेंगना, इही हमर रेंगना।
कांड़ी नही मूसर, तै नही दूसर।।
कांड़ी नही मूसर, तै नही दूसर।।
2.तोर बिना मोर कंचन काया, जर के होवत हे खुवार।
आजा संगी ले के बारात,ले जा अपन दुवार।।
आजा संगी ले के बारात,ले जा अपन दुवार।।
3.मैं तोर से मया करेंव अबला समझ के ।
तोर दद ह मारीच मोला तबला समझ के ।।
तोर दद ह मारीच मोला तबला समझ के ।।
4.तोला पाए के सपना रात म,बिहनिहा सुरता बहुत सतावत हे।
एक एक दिन एक साल बरोबर,गिन गिन दिन ह पहावत हे।
एक एक दिन एक साल बरोबर,गिन गिन दिन ह पहावत हे।
5.मोर पाछू झन पड़ एक दिन बहुत पसताबे।
मोर कालेज के आघू म चाट के ठेला लगाबे।।
मोर कालेज के आघू म चाट के ठेला लगाबे।।
6.जादा तैं झन इतरा एक दिन बहुत पसताबे।
मोर चाट के ठेला म बरतन धोये ल आबे।।
मोर चाट के ठेला म बरतन धोये ल आबे।।
7.दिया अधूरा हे बाती के बिना ,नदिया अधूरा हे पानी के बिना।
जिनगी अधूरा हे साथी के बिना ,अउ मैं अधूरा हौं तोर बिना।।
जिनगी अधूरा हे साथी के बिना ,अउ मैं अधूरा हौं तोर बिना।।
8.तोर मया के बोली खातिर सुधबुध में ह गवां गेंव।
बिना पानी के मछरी बरोबर तड़प के में ह अधिया गेंव।।
बिना पानी के मछरी बरोबर तड़प के में ह अधिया गेंव।।
9.जादा झन कर न रूप के गुमान मोर चिरइया।
चार दिन के चांदनी फेर नई रहय कोनो पूछईया।।
चार दिन के चांदनी फेर नई रहय कोनो पूछईया।।
10.तोला देखे बर घेरिबेरी तोर पारा में ह जाथौं।
कतका उदिम करथौं तब एक झलक ल पाथौं।।
कतका उदिम करथौं तब एक झलक ल पाथौं।।
11.तोर सुरता के आंसू म, मोर सपना ह धुला गे।
कोन तोला भरमाइस ,करे वादा ल तैं भूला गे।।
कोन तोला भरमाइस ,करे वादा ल तैं भूला गे।।
12.मन करथे तोर मया के छइहा म अइसने जिनगी बितातेंव।
एक जनम के बात कोन कहै सातो जनम निभातेंव।।
एक जनम के बात कोन कहै सातो जनम निभातेंव।।
13 .लेके गड़वा बाजा संगी तोर घर मैं आहूं।
भाँवर पराके संगी तोला मैं ले जाहूं।।
भाँवर पराके संगी तोला मैं ले जाहूं।।
14.करले तै भरेसा संगी मन म तोला बसाहुँ।
आँखि आँखि म झूलत रथस रानी तोला बनाहुँ।।
आँखि आँखि म झूलत रथस रानी तोला बनाहुँ।।
15.तोर मया के सुक्खा तरिया म मछरी कस तड़पत हौ।
कहां तैं लुकागे रे पगली गली गली म भटकत हौ।।
कहां तैं लुकागे रे पगली गली गली म भटकत हौ।।
16.करे रेहे वादा जियत भर नई छोड़व कहिके।
तोर बिना मोर कोन हे का करहुं दुनिया म जीके।।
तोर बिना मोर कोन हे का करहुं दुनिया म जीके।।
17.दूसर के मया म मोला भुला गेय।
हँसाये के वादा करके धर-धर आंसू रोवा देय।।
हँसाये के वादा करके धर-धर आंसू रोवा देय।।
18.दुरस संग बिहाव रचाए मोर दुनिया म आगी लगाए।
जा मोर कलपना धरही तोला धोखा दे के मजबूरी बताए।।
जा मोर कलपना धरही तोला धोखा दे के मजबूरी बताए।।
19.जा सुख से जिनगी बिताबे ,फूल कस जीवन माहकय तोर।
ए मयारू के दुआ हे ,तोर बांटा के कांटा घलो हो जावय मोर।।
ए मयारू के दुआ हे ,तोर बांटा के कांटा घलो हो जावय मोर।।
20.मोर सहीं मयारू, नई मिलय तोला दुनिया म।
झन कर तैं आनाकानी, आजा मोर बइंहा म।।
झन कर तैं आनाकानी, आजा मोर बइंहा म।।
21.जारे धोखेबाज तहूँ एक दिन धोखा खाबे।
मया करईया डिड़वा ल छोड़ काखर मेर जुड़ाबे।।
मया करईया डिड़वा ल छोड़ काखर मेर जुड़ाबे।।
22.दिल के दरद ल काला बतावव कोनो नई हे सुनईया।
ओहू मोला धोखा देदिस जेन एक झन रहिस पूछईया।।
ओहू मोला धोखा देदिस जेन एक झन रहिस पूछईया।।
23.अब तो आजा बइहा म कलप कलप के बलावत हौं।
छोड़ दे दुनियादारी संगी तोर मया के जोत जलावत हौं।।
छोड़ दे दुनियादारी संगी तोर मया के जोत जलावत हौं।।
24.तोर कारन मैं सब ला छोड़ेव घर दुवार परिवार।
तोर मया म बइहा होके किंजरेव खारेखार।।
तोर मया म बइहा होके किंजरेव खारेखार।।
25.ए दुनिया म दाई दद ल छोड़, कोनो नई आवय काम।
इखरे चरन म काबा कासी ,इही हें चारो धाम।।
इखरे चरन म काबा कासी ,इही हें चारो धाम।।
26.तोर बिना मोर जग अंधियार, सुन्ना हे अमरइया।
दोहडू फूल कस मुरझा गेंव, सुखागे मया के फुलवरिया।।
26.धोखा देके मारे करेजवा ल बना दिल के पीरा होगे अपार।
अब तो साथी कोनो नई हे मोर जीना होगे बेकार।।
27.तोर बिना मोर मन हे उदास बासी फूल कस मुझावत हौं।
अब तो आजा रे नीरदइया तोला मैं गोहरावत हौं।।
28.हीरदय म करके चल देहे घांव कब आबे मोरे गांव।
देखत रहीथौं मैं तोर रस्ता ओ बइठे पीपर के छांव।।
29.हिरनी सहीं तोर बोली रे गोरी सुवा सहीं तो बैना।
कारी नागिन सहीं घपटे चुन्दी कजरारी तो नैना।।
30.ए गोरी नारी ओ अटल कुंवारी ओ बनजा मोरो सुवारी ओ।
तोला घुमाहूं नवा दुनिया बसाहुँ करले मोरो चिन्हारी ओ।।
31.दिल म करके चल देये घांव कब आबे मोरे गॉंव।
देखत रहीथौं मैं तोर रस्ता ओ बइठे पीपर के छांव।।
32.जादा झन कर न रूप के गुमान ।
चार दिन के चांदनी फेर अंधेरी रात।।
33.मोर मया ल तैं नई समझे ,दूसर के बात म मोला भुलाए।
कोन जनम के बदला चुकाए,धर धर आंसू मोला रोवाए।।
34.खाए रहे किरिया हवै तोर बर पिरिया।
मोर मया ल ठुकरा के बन गे दूसर के तिरिया।।
35.दाई दद ल तियागेन्व गॉव घलो ल भुलागेन्व।
बइहा पगला कस घुमत हौं सपना तको धुलादेंव।।
36.मया पिरित के बंधना म बांधे मन म मोर समागे।
तोर बिना मोर दिन नई पहावय कोन दुनिया म तैं लुकागे।।
37.तोर हिरदय के तरिया म डुबकी मैं लगा लेतेंव,
तोर अचरा के छइन्हा म गोरी जिनगी घलो बिता लेतेंव।
एक जनम ल कोन कहै सातो जनम निभातेंव मैं,
एक बार तैं हां कहिदे बिछे खटिया म जेवन करातेंव मैं।।
38.आँखी तोर तीर बरोबर, कमल फूल कस मुस्कान हे।
सांप सहीं तोर बेनी गोरी,टमाटर कस तोर गाल हे।।
39.तोर मया म बइहा होगेंव अन पानी नई सुहावते।
कब तैं ह मोर से बिहाव करबे दिन ह नई पहावते।।
40.तोला देखे बिना मन नई मानय, दउड़ दउड़ के आथों तोर पारा।
तोर दद ल ससुर बनाहूं, तोर भाई ल मोर सारा।।
41.जालिम हे दुनिया, बैरी हे जमाना।
चल न दुनों झन भाग चली, झनकर न बहाना।।
42.अरे मोर मयारू दौनापान,डोहड़ू फुलकस तोर मुस्कान।
तोर इही अदा म मैं मोहागेंव, गौकिन, सिरतो, इमान।।
43.तोर घर मोर मंदिर ,तैं मोर देंवता।
मैं तो हामीं भर देवँ जी, भेजवादे अब नेवता।।
44.नजरे नजर म तैं बसगे,काम बुता म मन नई लागय।
तोला लगथे मैं मया नई करौं,रात रात भर आँखि जागय।।
45.का करौं मोर मयारू, सुरता तोर सताथे।
काम बुता म मन नई लागै, रतिहा लटपट पहाथे।।
46.तोर जइसे मोरो हाल हे, लटपट रात पहाथे।
बाजागाजा ले के आजा,नई तो लेजा मोला भगाके।।
47.दुनिया के तैं भूख मिटाए,जन-जन के तैं मितान।
तोर कइसे करजा चुकाहूँ ग,मोर देश के करमठ किसान।।
48.पानी बादर घाम ल सही के, उपजाथच तैं अनाज।
तोरे करम के बल म भईया, आघू बढ़थे समाज।।
49.हरियर हरियर लुगरा पहिरे,ईहां के फसल हे तोर चिन्हारी।
आनी बानी के गहना पहिरे, जय हो मोर छत्तीसगढ़ महतारी।।
50.फिरि के मोबाइल संगी,दु रुपया किलो चाउंर खाथौं।
कमा लेथों एको दु रुपया त ,सांझ कन पउवा मार के आथौं।।
51.भारत माता के हम बेटा, देश आघू बढ़ाबो।
स्कूल जाबो पढ़बो लिखबो,दुनिया म नाम कमाबो।।
55.दाई के मोर अचरा के छईंहा,दद के मया अपार ।
इंखरे सेवा कर ले रे संगी,हो जाही तोर बेड़ा पार।।
56.छोड़ मोला तैं शादी रचाये ,पति संग दुनिया बसाये ओ।
बरस बीते बाद तैं आ के, मिटे घांव ल फेर से जगाए ओ।।
57.कांटा बोंके के मोर रसता म,उखरा पाँव रेंगाए ओ।
सादी करे तैं दूसर के संग म,मोर नाम के मेहंदी लगाए ओ।।
58.कतका घूमेंव तोर पाछु म,फेर मुड़ के कभू नई देखे रे।
करे बिहाव मोला ठेंगा दिखाए,थोरको सुध घलो नई लेहे रे।।
59.लसुन के चटनी बोरे भात, सुकसा भाजी जेखर पहिचान ए।
छत्तीसगढ़ी भाखा बोलथौंव संगी,इहाँ के माटी मोर भगवान ए।।
60.पानी बादर घाम पियास ल ,सहीके अन्न उपजाथस ग।
धान के कटोरा मोर छत्तीसगढ़ के ,दुलरुवा बेटा तैं कहाथस ग।।
61.तीजा पोरा आगे संगी ,नानपन के सुरता फेर हरिया गे।तीजा माने नई आवत हे मयारू,सोंच के तन करिया गे।।
62.चँदा जइसे तोर कंचन काया, हिरनी जइसे चाल हे।
नागिन कस तो कनिहा लचके,कारी घटा तोर बाल हे।।
63.आँखी म तोर मया के सागर, मारत हे हिलोर।
उमड़ घुमड़ तोर रूप ह बरसे, मोर हिरदे म मचाए बिलोर।।
64.सजना बिना सब सुन्ना लागे,करौंव मैं तोला पुकार।
चांदनी रात के दूधिया अंजोर,आजा मोर सरकार।।
65.बारिश बीत गे, चारो कोती छा गे हे बहार।
घर आजा मोर परदेशिया, ये तन होवत हे खुवार।।
66.मोर जिनगी अब बोझा लागे,बेवफा तोर बेवफाई म।
एक दिन तहूँ धर-धर रोबे,याद आहुँ जब तन्हाई म।।
67.मोर गॉव के बुढ़वा पीपर,आमा पेड़ के ठंडा छांव।
मोर छत्तीसगढ़ीन दाई ओ, पखारौंव मैं तोर पाँव।।
68.मैं तोर बादर त तैं मोर पानी,मैं तोर राजा त तैं मोर रानी।
करत हौं वादा नई छोड़वं तोला,संगे संग बिताहूँ जिनगानी।।
69.कइसे कहौं के सुख म,जियत हौं तोर बिना।
सब ओइसने हाल हे, जइसे बिना पानी के मछली के जीना।।
70.मैं जानत हौं तहूँ जियत होबे, तड़प-तड़प के।
मोरो उही हॉल हे, महुँ जियत हौं भटक-भटक के।।
71.माँ हे गंगा माँ हे जमुना,माँ से हे तोर नाम।
एखरे सेवा करले रे भाई,माँ हे चारो धाम।।
बाई के आते तैं सब ल भुलागे,कइसे दाई सोवाय तोला अचरा के छाइहा म।।
73.बीते बछर कस तैं ह संगी,भूल ज मोरो नादानी ल।
नवा बछर म मिल के रहिबो,जुग -जुग चलाबो मितानी ल।।
इसे भी पढ़ें- (नीचे दिए गए किसी भी जानकारी को पढ़ने के लिए उसे टच करें।)
🔷छत्तीसगढ़ी मया शायरी।
🔷छत्तीसगढ़ी राउत नाच दोहा ।
🔷 छत्तीसगढ़ी फनी जोक्स ।
🔷छत्तीसगढ़ी कहानी-खीर।
🔷 हिंदी फनी जोक्स।
◆किसान पेंशन योजना की पूरी जानकारी-छत्तीसगढ़।
◆सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए घर बैठे आवेदन करने की पूरी जानकारी।
◆वृद्धावस्था पेंशन के लिए घर बैठे ऑनलाइन आवेदन करने की पूरी जानकारी।
◆जन्म प्रमाणपत्र के लिए घर बैठे ऑनलाइन आवेदन करने की पूरी जानकारी।
◆जातिनिवास के लिए घर बैठे ऑनलाइन आवेदन करने की पूरी जानकारी।
◆आय प्रमाण पत्र के लिए घर बैठे ऑनलाइन आवेदन करने की पूरी जानकारी।
◆विवाह प्रमाण पत्र के लिए घर बैठे आवेदन करने की पूरी जानकारी।
छत्तीसगढ़ी शायरी कइसे लगिस कमेंट करके जरूर बताहू संगी हो ,यदि आपमन छत्तीसगढ़ी शायरी के सउंख रखत होहु त कमेंट बॉक्स म लिख के हमर से जरूर शेयर करौ संगी हो।आप मन ल लगत होही के कोनो अउ किसम के शायरी लिखे जाय त उहू बात ल जरूर बताहू। जय जोहार
Cg sayri apki bahot hi achha laga lekin apse hamara recwest hai ki chhattishgarhi sayri kishan bhaiyo aur hamri dharti mata se kuch sayri banaye
ReplyDeleteJi bilkul
ReplyDeleteSuperb yr maza a ge
ReplyDeleteBahut sundar cg shayri he bane lagis ji
ReplyDeleteअइसने मया दया रखे रइहु संगी मन
ReplyDeleteMst he
ReplyDeleteबहुत सुंदर लगिस संगवारी आप मन के ये कविता अइसने ही कविता लिखत रहू आप मन।अउ भेजत रहु।।
ReplyDeleteजय छत्तीसगढ़ संगवारी🙏🙏
आप मन अइसने हमर मनोबल ल बढ़ावत रहौ संगी हो ।
ReplyDeleteजय जोहार
ReplyDeleteबहुत सुंदर लगिस संगवारी आप मन के ये कविता अइसने ही कविता लिखत रहू आप मन।अउ भेजत रहु।।
जय छत्तीसगढ़ संगवारी🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteMast he
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteअति सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद
Delete